Tuesday, September 11, 2018

अटलजी और सहकारिता


अटल बिहारी वाजपेयी जी ने बतौर प्रधानमंत्री भारत को बुनियादी ढांचे के लिहाज से विश्व के अग्रणी देशों की कतार में खड़ा करने का प्रयास किया | उन्होंने न केवल पूरे देश में आधुनिक सड़कों का जाल बिछाया, बल्कि भारत में स्थित सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों को रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए भी प्रयत्न किए | अटलजी के कार्यकाल में ही भारत में मोबाइल क्रांति की शुरुआत हुई | साथ ही में विमानन क्षेत्र को विदेशी कंपनियों के लिए खोलकर इसके विकास व विस्तार की आधारशिला रखी गई। अटलजी केवल देश के नेता नहीं थे, वे विश्व शिखर पर विराजमान, जगन्मान्य नेतृत्व थे | भारत देश में विविध क्षेत्रों में उन्होंने किया हुआ कार्य, देश की आनेवाली पीढ़ियों को, युवाओं को नई सिख देता रहेगा | अटलजी का यही सपना था, की देश का युवा साक्षर हो, सक्षम हो और स्वयं निर्भर हो | तभी तो उन्होंने नारा दिया था, जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान | विज्ञान की राह पर चल के युवा भारत और भी ऊँचाइयों को छु सके, इसलिए अटलजी अविरत परिश्रम करते रहें | उनका सहकारिता क्षेत्र में भी योगदान रहा है | 

अटलजी के कार्यकाल में ही स्वयं सहायता समूह को आकार दिया गया | और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गती देते हुए, महिलओं के सशक्तिकरण की नीवं रखी गई | १९९९ में शुरू की गई “स्‍वर्ण जयंती ग्राम स्‍वरोजगार योजना” इसी उद्देश्य से शुरू की गई थी | इस योजना कार्यक्रम के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में निरंतर आय के अवसर पैदा करने के लिए मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग के व्यक्तियों/ युवाओं को प्रेरणा देकर लघु उद्यमों की स्‍थापना पर ध्‍यान केंद्रित किया गया | ग्रामीण क्षेत्र के व्यक्तियों में उद्योगी व्यक्ति की क्षमता पैदा करना, उन्हें कौशल विकास प्रशिक्षण देना, लघु उद्योग के लिए ऋण देना तथा प्रौद्योगिक हस्तांतरण करना, विपणन और ढांचेगत सहायता पर विशेष बल देना, ऐसे कार्यक्रम उस वक्त हात में लिए गए थे | 

एक तरफ देश में सड़के बन रही थी | युवाओं को स्कूली शिक्षा प्राप्त हो रही थी, तो दुसरी तरफ “स्वयं सहायता समूह” के माध्यम से ग्रामीण भारत में आर्थिक सक्षमीकरण के प्रयास किए जा रहे थे | देशा का युवा स्वयं निर्भर और सक्षम होने की दिशा में आगे बढ़ रहा था | तभी भारत देश में “सर्व शिक्षा अभियान” के माध्यम से प्रेरित युवा स्कूलों की ओर आकर्षित हो रहा था | “स्कूल चले हम” यह गाना गुनगुनाते बच्चे स्कूल जा रहे थे | याने की स्वयं निर्भरता और स्कूली शिक्षा का हक़ इन की नीवं अटलजी ने रखी थी |

पहले मध्यम वर्ग से लेकर के धनी लोगों को व्यवसाय और उद्योग शुरू करते वक्त सरकार की तरफ से जो दिक्कते होती थी, वे कम करने में अटलजी की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही | अटलजी की सरकार ने डिसइन्वेस्टमेंट प्रक्रिया शुरू की | परिणामस्वरूप उद्योग क्षेत्र को अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्षरूप से फायदा हुआ | लोगों की व्यवसाय और उद्योग में पुंजी और आय बढ़ने लगी | अटलजी के सरकार ने ही "अंत्योदय अन्न योजना" नाम से जाने जाने वाली और देश के सबसे निचले तबके तक का विचार कर के बनाई हुई, यह योजना गरीबों के लिए चलाई गई सबसे बड़ी योजना थी | इस में अंत्योदय का विचार था |

सरकार ने अटलजी के कार्यकाल में शुरू की गई कई योजनाओं में लोगों की सहभागिता को बढ़ावा देने का काम किया | जो काम सरकारे करती थी, वे काम अब लोग करने लगे थे, और वे भी समूह से और सहभागीरूप से | वैसे तो अटलजी के कार्यकाल में लोकहित के बहुत सारे अन्य काम हुए थे और कई कामों की शुरुआत की गई थी | परंतु ग्रामीण भारत में सहकारिता और समूह उद्योग स्थापित करने का प्रयास करना यह जनमानस भारत में निर्माण हो, इस की शुरुआत स्वयं सहायत समूह के माध्यम से ज्यादा बढ़ी |

अंततः अंत्योदय के  मार्ग पर मार्गक्रमण करते हुए | देश में सहकारिता को समाज के आखरी तबके तक ले जाने का प्रयास करना यही हमारा भी संकल्प होना चाहिए और यही अटलजी को असल में श्रद्धांजलि भी होगी | 


बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

- नागेश कुलकर्णी 

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